कृषि का मशीनीकरण

विशाल क्षेत्रों पर उत्पादन की वृद्धि के लिये कृषि के क्षेत्र में मशीनीकरण का प्रारम्भ हुआ। विशाल भूमि के क्षेत्रों पर कृषि से सम्बन्धित सब प्रक्रियाएँ, थोड़े समय की अवधि में ही मशीनीकरण द्वारा संभव हो सकती है। साथ ही साथ मशीनों की सहायता से फसल जल्दी से जल्दी बाजार में भी पहुँच जाती है। विकासशील देशों में कृषि मजदूरों के कार्य पर निर्भर रहती थी, परन्तु बड़ी संख्या में ग्रामीण लोगों का शहरों में स्थानान्तरण के कारण, खेतों पर श्रमिकों की संख्या कम हो गयी। इस नई स्थिति से निपटने के लिये, कृषि-सम्बन्धी कार्यों को पूरा करने में कृषि के मशीनीकरण के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नहीं रह गया। खेतों पर कार्यरत कुछ मशीनों के नाम इस प्रकार हैं- पानी के पम्प, जोत, कम्बाइन हार्वेस्टर, भूमि को समतल बनाने वाली मशीनें, जोतक, ऊर्जा द्वारा संचालित ट्रैक्टरों द्वारा छिड़काव के उपकरण, बुवाई करने वाली मशीनें, ट्रॉलियां, इत्यादि।

कम्बाइन हार्वेस्टर: इनको 'कम्बाइन' के नाम से भी जाना जाता है। यह एक बड़े आकार की मशीन है जो न केवल मक्के की कटाई करती है, बल्कि पौधों के बालों से अनाज को भी अलग करती हैं। इसमें पौधों के काटने व फसलीकरण के कार्य शामिल हैं। ये मशीनें खेतों के अंदर ही बालों से अनाज को अलग करती हैं।

हल: खेतों की जोताई या मशीनीकृत के लिये कई किस्म के मृदा की यांत्रिकीकरण द्वारा गुड़ाई, मिट्टी को ऊपर-नीचे करने के हल आजकल उपलब्ध हैं।

भूमि समतलक यंत्र: ये यंत्र भूमि के बड़े भागों को तोड़कर, भूमि को समतल बनाते हैं तथा इस तरह भूमि को बीज बोने के लिये तैयार करते हैं।

बॉक्स-ड्रिल (वपित्र): ये ट्रैक्टरों से जुड़े यंत्र होते हैं, जो बीजों को बोने के प्रयोग में आते हैं।

ऊर्जा द्वारा संचालित ट्रैक्टर स्प्रे: ये यंत्र पौधों की कतारों के बीच होकर खेत में फसलों के दोनों ओर कीटनाशकों या पीड़कनाशकों का छिड़काव करते हैं।

पम्प: ये साधारण बिजली द्वारा चलने वाले उपकरण हैं जो सिंचाई के पानी को खेतों तक पहुँचाते हैं।

थ्रेशर: वे मशीनें हैं जो कि मक्के, धान व गेहूँ के पौधों की बालों या शेष पौधों में से अनाज को पृथक करने के काम आती हैं।

मशीनीकृत पिकर: ये वे यंत्र हैं जो चूषण के सिद्धांत पर चलते हैं तथा रुई की फसल से रुई को अलग करने के प्रयोग में आते हैं। रुई उतारने के लिये रसायनों द्वारा पौधों का निष्पत्रण किया जाता है।